मंगलवार, 12 सितंबर 2023

आलेख - स्वतंत्रता दिवस की खुशी में जहर घोलती नूँह व मणिपुर हिंसा

 आलेख - स्वतंत्रता दिवस की खुशी में जहर घोलती नूँह व मणिपुर हिंसा

- डॉ उमेश प्रताप वत्स


देश इस बार 15 अगस्त 2022 से विधिवत रूप से मनाते जा रहे अमृत महोत्सव के अन्तर्गत 15 अगस्त 2023 में स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहा है । 15 अगस्त 2022 से लगभग 75 सप्ताह पहले आजादी का अमृत महोत्सव आधिकारिक तौर पर 12 मार्च, 2021 को शुरू हुआ था जब लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से आजादी का अमृत महोत्सव की कर्टन रेजर एक्टिविटीज का उद्घाटन किया था। ये समारोह 15 अगस्त, 2023 तक

स्वतंत्रता दिवस के रूप में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बलिदान को याद करने का समय है जिन्होंने हमारी आजादी के लिए खुशी-खुशी अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। स्वतंत्रता दिवस हमें भारत माता की उन्नति और प्रगति के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है। किंतु वर्तमान समय में देश में अलग-अलग क्षेत्रों में घटित घटनाक्रम को देखकर लगता है कि देश के नागरिक केवल अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं और देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं या फिर याद ही नहीं करना चाहते हैं ।

जब से देश में जीवन का स्तर उन्नत हुआ है , घर ,कार ,मकान की सुविधा बढ़ी है।तब से लगता है कि विचारों में उतनी ही अधिक गिरावट आई है । देश में पढ़े-लिखे लोग हिंसा व बलात्कार मामलों में सम्मिलित पाये जाते हैं और राजनैतिक संरक्षण के कारण वे बच जाते हैं।

राजस्थान में 10 साल की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में 2.79 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये खुलासा हाल ही में राजस्थान पुलिस की रिपोर्ट में हुआ है। देशभर में दुष्कर्म के मामलों में नंबर-1 रहने वाले राजस्थान में एक और डराने वाला आंकड़ा सामने आया है। यहां 10 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के केस 2.79 फीसदी बढ़े हैं। वहीं, छोटी बच्चियों के साथ गैंगरेप की वारदात में भी इस साल 13.64 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि मुख्यमंत्री गहलोत कह रहे हैं कि यहां सब ठीक है । दिल्ली में एक दिल दहलाने वाला मामला 13 साल की नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म का आता है। जिसमें बच्ची का जानकार मिनी टेंपो चालक पीड़िता व उसकी सहेली को घुमाने के बहाने टैंपों में बैठाकर ले जाता है , सहेली को उसके घर के सामने उतारकर पीड़िता को सुनसान जगह पर ले जाकर बलात्कार की वारदात को अंजाम देता है।

मणिपुर हिंसा के दौरान दो महिलाओं को रेप के बाद नग्न कर घुमाने का वीडियो तो विश्व समाचार बन गया है । जबकि दोनों ही समुदाय की असंख्य ऐसी वारदातें है जिस का वीडियो वायरल नहीं हुआ होगा।

दिल्ली के ही शाहबाद डेरी इलाके में हुए साक्षी हत्याकांड मामले में दिल्ली पुलिस ने मंगलवार 28 जून 2023 को 640 पेज की चार्जशीट रोहिणी कोर्ट में दाखिल की गई। जिसमें बताया गया कि मुस्लिम लड़के ने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाकर साक्षी से प्रेम किया और महीनों अपनी हवस का शिकार बनाता रहा। बाद में इसी मुस्लिम लड़के साहिल ने किसी बात पर चिल्लाती हुई , जिंदगी की भीख मांगती रोती-बिलखती साक्षी पर निर्दयता पूर्ण चाकू से 20 से भी अधिक बार  ताबड़तोड़ वार कर उसकी हत्या कर दी और जब इससे भी दिल नहीं भरा तो भारी पत्थर उसके मुँह पर मारकर उसका चेहरा कुचल दिया । इससे भी चिंतनीय बात यह है कि कई चैनलों पर ऐसा नैरेटिव सैट किया गया कि साक्षी की बेरहमी से की गई हत्या को छोटा कर मौके पर उपस्थित लोगों को हस्तक्षेप न करने की खबर ही चलाते रहे । राहगीरों ने साक्षी को नहीं बचाया जो कि बहुत ही कायरतापूर्ण है किंतु खबर का रूख ही मोड़ दिया । बेरहम मुस्लिम लड़के की दरिंदगी से ज्यादा देखने वालों पर फोकस बनाया गया।

हरियाणा के नूंह में जलाभिषेक के लिए जाते हुए हिंदू समुदाय पर अकस्मात पत्थरों ,डंडो व गोलियों की बौछार ने पूरे हरियाणा में भय व्याप्त कर दिया । एक समुदाय की ओर से की गई हिंसा ने सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी पर असर डाला है। हज़ारों लोगों को अपनी जान बचाने के लिए घरों से भागना या छुपना पड़ा। नूंह हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों बेकसूर भक्त लोग घायल हुए हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि हमला करने वाले राजस्थान आदि दूसरे प्रदेशों से आये थे जबकि सत्य यह है कि बिना पूर्व योजना के तथा स्थानीय लोगों के विश्वास व सहयोग के बिना बाहरी व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।

इस तरह की असंख्य घटनाओं ने जहां स्वतंत्रता दिवस की खुशियों पर डाका डाला है वहीं मामलों के राजनीतिकरण की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है । अधिकतर मामलों में मिलकर माहौल को शांत करने के बजाय भड़काने के ही संकेत मिलते हैं । यह बढ़ते भारत के लिए शुभ लक्षण नहीं है ।

15 अगस्त 1947 को हमारी मातृभूमि अंग्रेजों की ब्रिटानिया सरकार से मुक्त हुई थी जिसके लिए हजारों परिवारों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया । 

आज जिस देश को हम अपना स्वतंत्र देश कहते हैं उसे स्वतंत्र हुए 77 वर्ष हो चुके हैं। महापुरुषों के मार्गदर्शन के बाद व लोकमान्य तिलक , पं. रामप्रसाद बिस्मिल , नेता जी सुभाषचंद्र , पं. चन्द्रशेखर आजाद व भगतसिंह आदि हजारों क्रांतिवीरों का सपना था कि हमारा देश विश्व का सर्वोच्च देश बने। आज हम इस आज़ादी की हवा में सांस ले पा रहे हैं क्यूंकि हमारे पूर्वजों ने हमें यह आज़ादी दिलाने के लिए 200 वर्ष तक संघर्ष किया। इसलिए आजादी का यह जश्न पूरे देश में देशभक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोकमान्य तिलक ने कहा था कि 

 "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा"

स्वराज तो हमें मिल गया किंतु हम इसे संभाल नहीं पा रहे हैं ।

आओ इस अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम मिलकर संकल्प लें कि भारत की उन्नति , इसकी प्रगति हमारे हर कार्य पर भारी हो। हमारी पहली प्राथमिकता हमारा देश होगा तभी हम विश्व गुरु के स्थान पर पहुंच सकेंगे।


स्तंभकार

डॉ उमेश प्रताप वत्स

 लेखक : प्रसिद्ध कथाकार, कवि एवं स्तंभकार है ।

umeshpvats@gmail.com


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