मंगलवार, 12 सितंबर 2023

आलेख - अविश्वास प्रस्ताव पर चरमराकर धराशायी हो गया एकजुट विपक्ष

 आलेख - अविश्वास प्रस्ताव पर चरमराकर धराशायी हो गया एकजुट विपक्ष

-डॉ उमेश प्रताप वत्स 


केन्द्र सरकार के लिए चुनाव मुहाने खड़ा है, ऐसे में चुनावी योद्धाओं की तरकश में जितने तीर हैं सबका बारी-बारी प्रयोग हो रहा है । विपक्ष के योद्धा कोई नया शस्त्र प्रयोग करते हैं तो पक्ष के योद्धा भी अपने धारदार शस्त्र से उसे निष्क्रिय कर देने में एक क्षण की भी देरी नहीं करते।

भारत जोड़ों यात्रा से जो वातावरण निर्मित हुआ उसने कांग्रेस के नेताओं में जोश तो भर दिया किंतु मणिपुर हिंसा के बाद उस उत्साह को संभालने में कहीं न कहीं शीर्ष नेताओं से भी कोताही दिखाई देती है , तभी तो मणिपुर की आड़ में देशभर में कांग्रेस सहित विपक्ष ने जो भूमिका अदा की उससे न तो देश की जनता में विपक्ष को लेकर कोई हमदर्दी हुई और न ही कोई राजनैतिक लाभ मिलते दिखाई दे रहा है । 

मणिपुर हिंसा के नाम से विपक्ष जिस मोदी की चुप्पी तुड़वाने को ही अंतिम लक्ष्य की तरह मान बैठा था , उस मोदी ने जब चुप्पी तोड़ी तो चुप्पी तुड़वाने वाले सारे योद्धा चुपचाप सदन से बाहर खिसक लिये। बेशक बाद में यह कहने का प्रयास किया गया कि सदन से बाहर जाने का मतलब सरकार से असहमति थी, विरोध जताना था । जबकि सभी जानते हैं कि इतने दिनों से प्रधानमंत्री के बोलने की इंतजार हेतु ही सारा राजनैतिक चक्र चलाया जा रहा था कि प्रधानमंत्री मणिपुर पर कुछ भी ऐसा बोले जिसे हाथों-हाथ पकड़कर मोदी के बहाने सरकार को घेरा जाये और आने वाले चुनावों में सत्ता सुख का आन्नद लेने के लिए मार्ग प्रशस्त हो । इस योजना के तहत देश के गृहमंत्री द्वारा मणिपुर पर पूरी स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद नहीं स्वीकारा गया। उनकी बातों को अनसुना कर एक ही रट लगाई गई कि यह संसद गृहमंत्री को नहीं प्रधानमंत्री को सुनना चाहती है और जब तीसरे दिन प्रधानमंत्री जी ने बोलना प्रारंभ किया तो लगभग डेढ़ घंटे के बाद स्वयं को ठगा सा महसूस कर सारा विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया।

प्रधानमंत्री ने पहली पंक्ति में ही पूरे भाषण का तात्पर्य स्पष्ट कर दिया जिसकी विपक्ष को एक प्रतिशत भी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के द्वारा लाया गया यह अविश्वास प्रस्ताव देश व हमारी सरकार के लिए एक सुअवसर लेकर आया है । आज हमें संसद के माध्यम से देश को यह बताने का अवसर मिला है कि हमने पिछले नौ वर्ष में क्या किया है । मणिपुर हिंसा की वास्तविकता क्या है और हमने शांति बहाली के क्या प्रयास किये हैं । प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत समय से विपक्ष के नेता संसद के अंदर बैठने की अपेक्षा संसद से बाहर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं और बहुत ही कम सांसद पूरा समय संसद में उपस्थित रहें हैं । आज सभी सांसद भी है , सांसदों की मांग भी है और अवसर भी है क्यों न हम इस अवसर का लाभ उठाकर विपक्ष के षडयंत्रों को देश के सामने विस्तार से रखें । उन्होंने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव 2018 में भी विपक्ष के साथी लेकर आये थे। तब उनके पास जितने कुल सांसद थे अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उतने भी वोट नहीं पड़े थे। हमारे लिए विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमेशा शुभ होता है। 2018 के अविश्वास प्रस्ताव के बाद हमारी सरकार पहले से भी ज्यादा आंकड़े के साथ सत्ता में आई और तब मैनें यह भविष्यवाणी की थी कि 2024 के चुनावों से पहले भी विपक्ष 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आयेगा और हम 2024 में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर सरकार बनाएंगे ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब संसद में बहुत ही महत्वपूर्ण बिल आ रहे थे तो अधिकतर विपक्ष संसद से गायब ही रहता था। विपक्ष ने कभी गरीब , आदिवासी ,दलित ,पिछड़ों के लिए लाये गये बिलों पर गंभीरता नहीं दिखाई। मणिपुर में जातीय व क्षेत्रीय हिंसा से जो जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है और मणिपुर जल रहा है , जिसे शांत करने के लिए केन्द्र सरकार मणिपुर सरकार के साथ मिलकर हर संभव प्रयास कर रही है । ऐसे गंभीर , नाजुक समय में सहयोग करने की अपेक्षा विपक्ष ने यह अविश्वास प्रस्ताव लाकर देश की प्राथमिकता को अनदेखा कर देश के साथ विश्वासघात किया है। जनता के विश्वास को चकनाचूर किया है। देश की जनता के लिए विपक्ष को जहां विकास के लिए प्रश्न करने चाहिए थे वहां ये अविश्वास प्रस्ताव लेकर आये हैं।

मोदी ने कहा कि बिना किसी विजन के केवल दिल्ली के अपने कट्टर भ्रष्ट साथी की शर्त पर अविश्वास प्रस्ताव लाना अदूरदर्शिता का परिचय देता है । बिना तैयारी के 2018 के बाद एक बार फिर विपक्ष 2023 में फिर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। प्रस्ताव के पक्ष में बोलने के लिए विपक्ष ने कोई तैयारी नहीं की। विपक्ष ने देश को निराशा के सिवाय कुछ नहीं दिया। प्रधानमंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि 

जिनके खुद के बही खाते बिगड़े हुए हैं।

वे भी हमसे हमारा हिसाब लिए फिरते हैं ।।

अविश्वास प्रस्ताव पर वरिष्ठ नेता ही शुरुआत करते हैं किंतु इस बार प्रतिपक्ष नेता के रूप में ना अधीर रंजन बोले और प्रधानमंत्री की रेस में अग्रणी ना राहुल ने शुरुआत की।

अपने नौ वर्ष के कार्य ध्यान कराते हुए प्रधानमंत्री बोलें कि देश में कुछ समय के बाद ऐसा इतिहास का कालखंड आता है, जो पुरानी दकियानूसी की दीवारें गिराकर नया इतिहास रचने के लिए आगे बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि इस कालखंड का पुरूषार्थ, किया जा रहा कार्य आने वाले एक हजार वर्ष के लिए भारत के भविष्य की नींव तैयार करेगा , इसकी दिशा तय करेगा।

आज भारत के युवा पीढ़ी का लोहा पूरा विश्व मान रहा है। भारत के युवाओं को घोटालों से रहित सरकार मिली है, जो भारत की बिगड़ी हुई साख को संभालकर, संवारकर उसे विश्व में नये कीर्तिमान के साथ स्थापित कर रही है ।

विपक्ष ने निसंदेह अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता का आत्मविश्वास तोड़ा है। जबकि हमने देश के लिए स्वयं को खपाया है ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा एक-एक पल , एक-एक क्षण , पूरा जीवन देश की जनता के लिए समर्पित है , हम अंतिम क्षण तक देश की सेवा करने के लिए संकल्पबद्ध है।

हमारे कार्यकाल में नीतिआयोग के अनुसार साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं । आइएम ने कहा कि भारत ने अति गरीबी को लगभग समाप्त कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि स्वच्छता अभियान से  तीन लाख लोगों की जान बची है और यूनिसेफ के अनुसार दवाई आदि में खर्च होने वाले जनता के लगभग साढ़े चार सौ लाख रुपये बचे हैं।

विपक्ष के द्वारा काले कपड़े पहनकर संसद में आने पर भी मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि जिस प्रकार शुभकार्य के लिए नजर बट्टू लगाया जाता है , उसी तरह सरकार के द्वारा संसद में विकास हेतु नई-नई योजनाओं पर सासंदों का काला लिबास नजर के टिक्के के समान है।

उन्होंने कहा कि आज विरोधियों का सबसे पसंदीदा नारा बन गया है 

मोदी तेरी कब्र खुदेगी , आज नहीं तो कल खुदेगी।

प्रधानमंत्री के अनुसार उन्हें भगवान से यह सीक्रेट वरदान मिला हुआ है विपक्ष जिसका बुरा चाहता है उसका भला ही होता है । उदाहरण के लिए मोदी का भला हुआ , बैंकिंग सैक्टर को कोसा कि बर्बाद हो गया जबकि बैंकों का लाभ दोगुणा हुआ। एचएएल पर बहुत गलत बोला कि तबाह हो गया , यह डूब रहा है , मजदूरों को भड़काया गया कि इंडस्ट्रीज खत्म हो गई है किंतु आज एचएएल की स्थिति सुदृढ़ है , वह आबाद है , सफलता की बुलंदियों को छू रहा है , देश की आन-बान-शान बना हुआ है । एलआईसी के बारे में गलत प्रचार किया गया कि आम जनता का पैसा डूब गया है किंतु आज एलआईसी निरंतर बढ़ रही है , लगातार चमक रही है ।

मोदी ने भविष्यवाणी की, हमारी सरकार की तीसरी पारी में देश की आर्थिक स्थिति पहले से मजबूत होगी जो कि विश्व में तीसरे नम्बर पर आ जायेगी । इस पर भी विपक्ष कहता है कि तीसरे नम्बर पर तो बिना कुछ करें ही पहुंच जायेंगे। बिना कुछ किये तो टुकड़ा भी मुँह में नहीं जाता। इनके पास ना नीति है , ना नीयत है और ना समझ है । बिना कुछ करें सोते-सोते ऐसे ही तीसरे नम्बर पर पहुंच जायेंगे ? विपक्ष कैसी अनुभवहीन बातें कर रहा है जबकि कठोर परिश्रम के बाद स्थिति बदलती है , जिसके जरिए हम तीसरे नम्बर पर पहुंच पायेंगे । लाल किले से स्वच्छ भारत का आह्वान किया तो विपक्ष ने कहा कैसे हो सकता है , यह केवल भाषणों में ही रह जायेगा जबकि देश की जनता ने करके दिखाया। इन्होंने खुले में शौच न जाना पड़े तो हर घर शौचालय की योजना का मजाक बनाया, जन-धन खाता की योजना का , योग व आयुर्वेद की योजना का मजाक बनाया। स्टार्टअप की बात की तो उसको हल्के में लिया, डिजिटल इंडिया , मेकिंग इंडिया का मजाक बनाया।

पहले पाकिस्तान सीमा पर हमले करता था फिर हमले की जिम्मेवारी लेने से मना कर भाग जाता था । हमले और बातें साथ-साथ होती रहती थी किंतु हमने कहा दोनों चीजें साथ नहीं होगी । हमले होंगे तो बात नहीं होगी। अब पाकिस्तान बात करने के लिए गिड़गिड़ाता है पर बात नहीं होती है । भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक किया तो विपक्ष ने उसे भी फर्जी बताया सैनिकों का निरंतर अपमान किया। विपक्ष को सदा से देश से ज्यादा दुश्मन पर भरोसा था। विदेशियों के द्वारा हर झुठी बात को पकड़कर भारत में उस झूठ का प्रचार शुरु कर देता है चाहे देश की साख को बट्टा ही क्यों न लग जाये। इसी तरह इन्होंने कभी भारत के वैक्सीनेशन पर भरोसा नहीं जताया। पूरा विश्व कोरोना काल में भारत की वैक्सीनेशन की माँग कर रहा था और ये इसे नकली बताकर जहां जनता में भय फैला रहे थे वहीं देश की छवि धूमिल करने में लगे हुए थे । कश्मीर में इन्हें कश्मीरी पर नहीं हुर्रियत पर अधिक भरोसा है।

जब विपक्ष को भारत के सामर्थ्य , भारत के लोगों पर विश्वास नहीं तो लोगों को भी इन पर विश्वास क्यों होना चाहिये। जिस कारण तमिलनाडु के लोगों ने 61 वर्षों से कांग्रेस को नकारा हुआ है , पश्चिम बंगाल में 51 वर्षों से , 38 वर्षों से यूपी- बिहार में , 28 वर्षों से उडीसा में कांग्रेस पर लोगों ने अविश्वास जताया। 34 वर्षों से नागालैंड से कांग्रेस बाहर है, दिल्ली में कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं है। अपनी नकारात्मक छवि को छिपाने के लिए यूपीए का अंतिम संस्कार कर इंडिया बनाया, इसका इन्होंने जश्न भी मनाया किंतु यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसी खंडहर हो चुके भवन पर प्लास्टर लगाने का कार्य किया जाता है ।

प्रधानमंत्री ने पीढ़ी दर पीढ़ी शासन व्यवस्था संभालते परिवार के उत्तराधिकारी पर कटाक्ष करते हुए कहा -

दूर युद्ध से भागते नाम रखा रणधीर ।

भाग्य चन्द्र की आज तक सोयी है तकदीर ।।

बैंगलोर की बैठक में यूपीए नाम से पीछा छुड़ाकर विपक्ष ने नया इंडिया नाम भी रखा तो वह भी टुकड़ों में आइ.एन.डी.आइ.ए अर्थात् देश के नाम में भी टुकड़े और देश में में भी टुकड़े कराने का निरंतर प्रयास , इनको गैंग भी टुकड़े-टुकड़े पसंद आता है। जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग का राहुल गांधी बार-बार समर्थन करते रहे। देश को कभी गाँधी परिवार ने प्राथमिकता नहीं दी । सदैव देश से पहले परिवार का नाम रखा ताकि पार्टी को इस परिवार के अतिरिक्त कुछ दिखाई ही ना दे। इनका अपने नाम से मोह बहुत पुराना है , देश में लाखों पार्क , हजारों सड़कें , हजारों भवन , खेल स्टेडियम , बाग-बगीचों के नाम सब एक ही परिवार के नाम से रखे गए हैं  तथा इनके नाम से फिर अनेक घोटाले किये हैं। योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार करते रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को नाम से बहुत लगाव है , इनका नाम दिखता है ,  घमंड दिखता है , पर कहीं भी इनका काम नहीं दिखता। ये प्रारंभ से ही कार्यकर्ताओं व जनता को मूर्ख बनाते आयें हैं । अंग्रेजी सरकार के दौरान 1920 में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को अंतिम स्वरूप दिया गया तो कांग्रेस ने ध्वज की तीन रंगों वाली पट्टियों को भी पार्टी के निशान के रूप में चुरा लिया। महात्मा गांधी की लोकप्रियता देखते हुए उनका सरनेम गाँधी नाम चुरा लिया । अब इंडिया की भावनात्मकता को देखते हुए इंडिया नाम चुरा लिया है । जबकि यह इंडिया नहीं घमंडिया गठबंधन है।

अभी तो हालात ऐसे हैं हाथों में हाथ हैं 2024 के चुनाव सामने हैं , हाथ थामे रखना विपक्ष की विवशता है। जहां हालात बदले फिर ये हाथ छुट जायेंगे, छुरियां निकलेगी, सिर फुटव्वल होगा।

क्योंकि कांग्रेस में पूरी ताकत एक ही परिवार के हाथों में है जो विपरीत परिस्थितियों में किसी को भी नहीं सुहाती। कांग्रेस को पुराने पाप लेकर डूबेंगे , परिवारवाद इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है तथा इन्हें दरबारवाद पसंद है , हर छोटा-बड़ा नेता दरबारी बनकर इनके दरबार में हाजिरी लगाये , यही चलता आया है । जिसका कद बढ़ने लगता है , परिवार के लोग उसकी छटाई कर देते हैं । कांग्रेस ने बाबा अंबेडकर को दो बार हरवाया , मुरारजी भाई , चंद्रशेखर को तबाह कर दिया , चौधरी चरण सिंह को समर्थन देकर जनता पार्टी से अलग कर दिया फिर दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया । संसद में भी जो इनके दरबारी नहीं बने उनके पोट्रेट नहीं लगने दिए । सरदार पटेल जो हर भारतवासी के दिल में बसते थे उनके योगदान को नकारा जबकि हमने अनेक विरोधों के बावजूद सिटेच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर विश्व स्तर पर मान बढ़ाया।

राहुल गांधी के व्यक्तव्य के अंश पर चुटकी लेते हुए कहा कि लंका हनुमान ने नहीं जलाई ,उनके घमंड ने जलाई, यह बिल्कुल सत्य है तभी लोगों ने भी परिवार का घमंड देखकर 400 सीटों से 40 पर लाकर खड़ा कर दिया। यह घमंड पार्टी को समाप्त ही कर देगा।

प्रधानमंत्री ने परिवार की राजशाही की ओर भी स्वच्छंद रूप से संकेत करते हुए कहा कि ये हवाई जहाज में जन्मदिन पर केक कटवाते थे जबकि आज हमारी सरकार में हवाई जहाज में वैक्सीन आती है। राजशाही के ठाठ-बाट तो देखिये ये जनाब बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए नौसेना पोत को मंगवाने के आदेश देते थे और आज हम किसी भी दुर्घटना के बाद विदेशों में फंसे अपने भारतीय भाईयों को देश में सुरक्षित लाने के लिए इन्हीं नौसेना पोत को लेकर जाते हैं । इनकी मोहब्बत की दुकान का भी भेद खुल गया है। यह मोहब्बत की नहीं लूट की दूकान है।

इनकी दूकान में नफरत घोटाले है, भ्रष्टाचार और दिल काले हैं।

शर्म करो नफरत की दूकान वालों , तुम सेना का स्वाभिमान बेचने वाले हैं ॥

कांग्रेस अभी भी परिवार से बाहर निकलने का प्रयास नहीं कर रही है , जो करता है उसे ही बाहर कर दिया जाता है । बार-बार हारने के बाद भी फेल प्रोडक्ट लांच करती है । इनको परिवार के अलावा कहीं कोई योग्यता दिखाई ही नहीं देती। इनकी नई दूकान पर भी शीघ्र ताला लग जायेगा। 

देश में 50 वर्षों तक राज करने वाले हैरान हो रहे हैं कि हमारी दो-दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार कैसे बन गई । जिन्होंने कभी गमले में मूली नहीं उगाई , वे चुनाव जीतने के लिए अनाप-शनाप वादे करते हैं । पानी-बिजली फ्री के नाम पर जनता को मूर्ख बनाते हैं ।

मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल अदालतें भी एक समकक्ष सरकार चला रही है जबकि नीचे से सर्वोच्च न्यायालय तक 5 करोड़ केस निर्णय की प्रतिक्षा में हैं । एक-एक मुकदमों को निर्णय तक पहुंचने में 40 से 50 वर्ष लग जाते हैं  किंतु अवांछित मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप कर देता है । मणिपुर में अदालत के एक फैसले के कारण हिंसा भड़क गई । अदूरदर्शिता से भरे इस निर्णय के कारण सैकडों लोग हिंसा के शिकार हो गए। कांग्रेस सहित विपक्ष ने इस हिंसा को ओर अधिक भड़काने का काम किया ।

इनकी मानसिकता देखिए , लोकतंत्र की हत्या, संविधान की हत्या की बात करते-करते आज ये माँ भारती की मणिपुर में हत्या की बात करते हैं । जिस भारत माता की रक्षा के लिए हजारों-लाखों लोग हंसते-हंसते न्यौछावर हो गए जिसकी हर भारतीय आरती उतारता है , आज कांग्रेस उस भारत माता की हत्या की बात कह रही है । आजादी के संघर्ष में हजारों क्रांतिवीरों को वंदेमातरम् गीत ने मर-मिटने की प्रेरणा दी उस गीत के भी इन्होंने टुकड़े कर दिये। ये निरंतर टुकड़े गैंग को बढ़ावा दे रहे हैं , ये नॉर्थ इस्ट की नैक गर्दन को काटने की बात कहते हैं । कांग्रेस बतायें कि कच्चातिवू टापू किसने विदेशियों को दिया। इंदिरा ने कच्चातिवू टापू श्रीलंका देश को देकर अलग कर दिया था। 5 मार्च 1966 में कांग्रेस इंदिरा ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर वायु सेना से हमला करवाया इस दिन मिजोरम आज भी शोक मनाता है । अकाल तख्त पर हमला कराया। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने नेहरू पर आरोप लगाया था कि वे जानबूझकर नॉर्थ-ईस्ट का विकास नहीं कर रहे और आज समाजवादी इनकी गोद में बैठे हुए हैं ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट हमारे लिए जिगर का टुकड़ा है। नॉर्थ-ईस्ट की समस्या की जननी केवल कांग्रेस है। देशभक्त , आजाद हिंद फौज वाला मणिपुर आज हिंसा में जल रहा है । हम शीघ्र यहां शांति करने में सफल होंगे । पहले आतंकवादी संगठन उल्फा की मर्जी से सरकारें चलती थी। आज सरकार लोगों की मर्जी से चलती है । मणिपुर कांग्रेस सरकार में नेता जी की प्रतिमा पर बम फेंका गया , ये उग्रवादियों को पालने वाले , सुविधा देने वाले आज मणिपुर पर बोल रहे हैं जबकि दूसरी ओर मणिपुर में हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं । मणिपुर में विकास के बहुत काम निरंतर हो रहे हैं ।

भारत के लोगों ने एक हजार वर्ष तक गुलामी कालखंड में भी विश्वास बनाए रखा। अपने हृदय में विश्वास की ज्योति को जलाये रखा। उसी जलती लौ के कारण आज उसी प्रकाशपुंज में हम जी रहे हैं । हम हर विपरीत परिस्थितियों में उज्जवल होकर , सफल होकर निकलेंगे और भारत को पर वैभव तक लेकर जायेंगे।


स्तंभकार

डॉ उमेश प्रताप वत्स

 लेखक : प्रसिद्ध कथाकार, कवि एवं स्तंभकार है ।

umeshpvats@gmail.com

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