मंगलवार, 12 सितंबर 2023

आलेख - अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय है चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का चंद्रयान-3

 आलेख - अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय है चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का चंद्रयान-3

-डॉ उमेश प्रताप वत्स 


बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने मून मिशन के अंतर्गत पहला कदम रखकर विश्व पटल पर इतिहास रचने जा रहा है । निसंदेह! भारत से पहले रूस, अमेरिका व चीन भी चाँद पर अपने यान भेज चुके हैं किंतु चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आज तक कोई भी देश अपना यान नहीं भेज सका। चंद्रयान-3 के तुंरत बाद रूस ने तुरत-फुरत में भारत से पहले पहुंचने का प्रयास तो किया किंतु तकनीकी खराबी आने के कारण अब भारत का कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है और भारत दक्षिणी ध्रुव पर अपना चंद्रयान-3 उतारकर वैज्ञानिक दुनिया में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाने जा रहा है। चंद्रयान-3 भारत का तीसरा मून मिशन है जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा के अगले अध्याय को शुरू करने जा रहा है। इस मिशन की सफलता हमें चांद के बारे में गहनता से विस्तृत जानकारी देगी। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर होगा किंतु इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा।

हमारे पास इस मिशन की कठिनाईयों और चुनौतियों को समझने का और बेहतर तरीका होगा।

जब 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च हुआ था और जब 47 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रयान-2 के साथ गया लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला था किंतु सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण अंतिम समय में उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी और ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया था तब पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए भारत में आस्था न रखने वाले कुछ बुद्धिजीवियों ने भी सवाल उठाए थे। दाल-आटे के लिए लाइनों में लगने वाले पाकिस्तान ने तो चाँद खिलौना कहकर इसरो व संपूर्ण भारत का माखौल उड़ाया था। किंतु इस बार पाकिस्तान सहित पूरा विश्व दाँतों तलेे अंगुली दबाकर चंद्रयान-3 की सफलता को टकटकी लगाये देख रहा है।

इस बार भी जब मीडिया में यह समाचार आया कि भारत से पहले रूस का लूना-25 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर भारत का वहां पंहुचने वाले पहले देश होने का सपना चकनाचूर कर देगा तो इन अर्बन नक्सलियों के दिलों में मोतीचूर के लड्डू फूट रहे होंगे। किंतु रूस सहित इन लोगों को तब झटका लगा जब रूस के अंतरिक्ष यान लूना-25 में तकनीकी खराबी आ गई। इसके चलते इसकी कक्षा नहीं बदली जा सकी। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि उसके अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं। इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। लूना-25 को सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इसके लिए लैंडिग से पहले कक्षा बदली जानी थी, लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण नहीं बदली जा सकी। जबकि भारत का चंद्रयान-3 इसरो के वैज्ञानिकों की कठोर परिश्रम व करोड़ों लोगों की शुभकामनाओं के चलते सफलतापूर्वक उतरकर विज्ञान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में भारत की धाक जमाने वाला है। इसरो ने एक बार फिर अपनी क्षमता और समर्थन का परिचय दिया है।

चंद्रयान-3 तय रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने नया अपडेट दिया है कि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल डी-बूस्टिंग के बाद अपनी कक्षा कम करते हुए 113 km x 157 km के ऑर्बिट में आ गया था। लैंडिंग मॉड्यूल में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल हैं। दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्‍त को प्‍लान किया गया था। चंद्रयान-3 अपनी गति को धीमी करते हुए चांद के सबसे करीबी ऑर्बिट में दाखिल हो गया है। इस साल 14 जुलाई को लॉन्च किया चंद्रयान-3 मिशन भारत के मून मिशन का फॉलो-अप है। 

रविवार सुबह तक चंद्रयान-3 चांद की सतह से महज 25 किलोमीटर दूर था। लैंडर मॉड्यूल की 23 अगस्त 2023 को शाम करीब 5.45 बजे चांद की सतह पर उतरने की पूरी संभावना है। 23 अगस्‍त बुधवार को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद, चंद्रयान-3 वहां के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाएगा। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को 23 अगस्‍त 2023 की प्रतिक्षा है। इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, यही वह दिन है जब चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करनी है। लैंडर 'विक्रम' अब अपने मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए अपने सेंसर्स की मदद से लैंडिंग के लिए उचित स्थान की खोज करेगा। फिर अपनी गति को लगभग शून्य कर लेगा। फिर धीरे-धीरे चांद की सतह पर कदम टिकाएगा।

लैंडिंग मॉड्यूल के सफलतापूर्वक चांद पर उतरने के बाद उसमें से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा। लैंडर मॉड्यूल में तीन पेलोड हैं जो चांद की सतह की स्टडी करेंगे। रोवर के जिम्‍मे चांद का केमिकल लोचा होगा। वहां की मिट्टी और पहाड़ों का विश्लेषण भी रोवर प्रज्ञान करेगा। वैज्ञानिकों के साथ-साथ विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए भी यह रहस्यमयी आकर्षक जानकारियां जुटायेगा जो कि बहुत बड़ा ज्ञानवर्धक रोमांचक क्षण होगा।

- स्तंभकार

डॉ उमेश प्रताप वत्स

 लेखक : प्रसिद्ध कथाकार, कवि एवं स्तंभकार है ।

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