शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

सेवा देश दी जिंदडीए बड़ी औखी, गल्लां करनियाँ बहुत सुखल्लियाँ ने,
जिन्ना देश सेवा विच पैर पाया, उन्ना लाख मुसीबतां झल्लियाँ ने.

करतार सिंह सराभा भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करने के लिये अमेरिका में बनी गदर पार्टी के अध्यक्ष थे। भारत में एक बड़ी क्रान्ति की योजना के सिलसिले में उन्हें अंग्रेजी सरकार ने कई अन्य लोगों के साथ फांसी दे दी। १६ नवंबर १९१५ को कर्तार को जब फांसी पर चढ़ाया गया, तब वे मात्र साढ़े उन्नीस वर्ष के थे। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह उन्हें अपना आदर्श मानते थे।

पंजाब में गदर पार्टी का मुख्य कार्य छावनीयों में फौजियों को बगावत के लिए तैयार करना, और क्रांतिकारियों के साथ मेल-जोल बढाना था, करतार सिंह ने यहाँ पर गदर पार्टी का प्रचार किया, ऊपर लिखी हुई दो लाइन उनकी कविता से हैं, जो वो अक्सर ही गुनगुनाया करते थे.

16 नवम्बर, 1915 को साढे़ उन्नीस साल के युवक कर्तार सिंह सराभा को उनके छह अन्य साथियों - बख्शीश सिंह, (ज़िला अमृतसर); हरनाम सिंह, (ज़िला स्यालकोट); जगत सिंह, (ज़िला लाहौर); सुरैण सिंह व सुरैण, दोनों (ज़िला अमृतसर) व विष्णु गणेश पिंगले, (ज़िला पूना महाराष्ट्र)- के साथ लाहौर जेल में फांसी पर चढ़ा कर शहीद कर दिया गया।

करतार सिंह सराभा को दें श्रद्धाजलि
करतार सिंह सराभा को मिले शहीद का दर्जा
भारत के इतिहास में इस शूरवीर का नाम सदा ही सुनहरी अक्षरों में लिखा रहेगा.

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