पाकिस्तान के असली जनक गाँधी को
मार कर गोडसे जी ने भारत का
पूर्ण इस्लामीकरण होने से रोक दिया था,
आज यदि हम भारत में हिन्दू के रूप में सांस ले रहे है
तो केवल गोडसे जी के प्रताप का फल है,
यदि वे न होते तो गाँधी की 3 फरवरी की
प्रस्तावित यात्रा में ही भारत पूर्ण रूप से
मुग्लिस्तान बन जाता,
गोडसे जी हमारे दिलो में सदैव जीवित रहेंगे
जिन्होंने गाँधी का वध करके
गाँधी के द्वारा पाकिस्तान देने के बाद
शेष बचे हुए भारत को पाकिस्तान के साथ मिलकर
मुग्लिस्तान बनाने के षड्यंत्र को रोक लिया था,
3 फरवरी 1948 की घोषित पाकिस्तान यात्रा में
मियां मोहनदस गाँधी पाकिस्तान को
कश्मीर हैदराबाद और जूनागढ़ वापिस देने वाले थे,
.............................. .............................. ..........
साथ ही पाकिस्तान को 55 करोड़ के अलावा
अरबो की अन्य संपत्ति,
सेना, वायुसेना और जलसेना का बंटवारा,
पाकिस्तान को जनसख्या के हिसाब से
सहायता राशि, देश के उद्योगों का बंटवारा और
सबसे बड़ी शर्त पूर्वी पाकिस्तान
(आज का बांग्लादेश) के ढाका से पश्चिमी पाकिस्तान के
लाहौर तक एक 5 किलोमीटर चौड़ा कोरिडोर बना कर
ग्रेटर पाकिस्तान बनाने का षड्यंत्र रचने की चाल थी,
इसलिए 20 जनवरी को गाँधी की हत्या का असफल पर्यास
करने के बाद भी
केवल 10 दिनों के भीतर दूसरा सफल प्रयास करना
किसी भी बड़े से बड़े संगठन के बस की भी बात नहीं है,
.............................. .............................. ................
चूँकि इसमें भारत के तब के कुछ मंत्रियो
जैसे की पटेल जी, अम्बेडकर जी और तब के रक्षा सचिव व् रक्षा प्रमुख ने भी
गाँधी वध की सम्भावना देखते हुए
उनकी सुरक्षा में ढील देकर गाँधी के वध का मार्ग प्रशस्त किया था,
और गोडसे जी को बचाने की भी पूरी कोशिश थी,
पर नेहरु के दबाव के चलते ऐसा नहीं हो सका,
और गोडसे जी को 1949 में फांसी दे दी गयी,
देश के लिए वे बलिदान हो गये
और राष्ट्र को पूर्ण रूप से
इस्लामिक होने से बचा लिया,
ऐसे महात्मा शूरवीर गोडसे जी को नमन
मार कर गोडसे जी ने भारत का
पूर्ण इस्लामीकरण होने से रोक दिया था,
आज यदि हम भारत में हिन्दू के रूप में सांस ले रहे है
तो केवल गोडसे जी के प्रताप का फल है,
यदि वे न होते तो गाँधी की 3 फरवरी की
प्रस्तावित यात्रा में ही भारत पूर्ण रूप से
मुग्लिस्तान बन जाता,
गोडसे जी हमारे दिलो में सदैव जीवित रहेंगे
जिन्होंने गाँधी का वध करके
गाँधी के द्वारा पाकिस्तान देने के बाद
शेष बचे हुए भारत को पाकिस्तान के साथ मिलकर
मुग्लिस्तान बनाने के षड्यंत्र को रोक लिया था,
3 फरवरी 1948 की घोषित पाकिस्तान यात्रा में
मियां मोहनदस गाँधी पाकिस्तान को
कश्मीर हैदराबाद और जूनागढ़ वापिस देने वाले थे,
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साथ ही पाकिस्तान को 55 करोड़ के अलावा
अरबो की अन्य संपत्ति,
सेना, वायुसेना और जलसेना का बंटवारा,
पाकिस्तान को जनसख्या के हिसाब से
सहायता राशि, देश के उद्योगों का बंटवारा और
सबसे बड़ी शर्त पूर्वी पाकिस्तान
(आज का बांग्लादेश) के ढाका से पश्चिमी पाकिस्तान के
लाहौर तक एक 5 किलोमीटर चौड़ा कोरिडोर बना कर
ग्रेटर पाकिस्तान बनाने का षड्यंत्र रचने की चाल थी,
इसलिए 20 जनवरी को गाँधी की हत्या का असफल पर्यास
करने के बाद भी
केवल 10 दिनों के भीतर दूसरा सफल प्रयास करना
किसी भी बड़े से बड़े संगठन के बस की भी बात नहीं है,
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चूँकि इसमें भारत के तब के कुछ मंत्रियो
जैसे की पटेल जी, अम्बेडकर जी और तब के रक्षा सचिव व् रक्षा प्रमुख ने भी
गाँधी वध की सम्भावना देखते हुए
उनकी सुरक्षा में ढील देकर गाँधी के वध का मार्ग प्रशस्त किया था,
और गोडसे जी को बचाने की भी पूरी कोशिश थी,
पर नेहरु के दबाव के चलते ऐसा नहीं हो सका,
और गोडसे जी को 1949 में फांसी दे दी गयी,
देश के लिए वे बलिदान हो गये
और राष्ट्र को पूर्ण रूप से
इस्लामिक होने से बचा लिया,
ऐसे महात्मा शूरवीर गोडसे जी को नमन
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