बुधवार, 13 नवंबर 2013

मैकाले का हिन्दुस्थान के प्रति रवैया..

1835 मे ब्रिटिश संसद मे लार्ड मैकाले ने जो भाषन किया उसे कुछ अंश उद्धृत करता हूँ। "मैने सारे हिन्दुस्तान का भ्रमण किया और मुझे एक भी आदमी भिखारी नही मिला, चोर नही मिला। इतनी धन दौलत, इतनी उंची नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था, इतनी कुशलता, मेहनतीं कुशल कारीगर हैं इस देश मे की इसे कभी नही जीता जा सकता अगर हम इसकी रीढ़ की हड्डी ना तोड दें। जो की इसकी आध्यात्मिकता, संस्कृति, सभयता, परमपराओं मे समाहित है। इस देश पर शासन करने के लिये हमे सबसे पहले यहॉं की शिक्षा पद्धति को बदलना होगा इनके आतम-सम्मान को गिराना होगा इनमे हीन भावन पैदा करनी होगी अपनी संस्कृति के प्रति, अपनी आध्यातमकता के प्रति, अपनी परम्पराओं के प्रति, अपनी भाषा के प्रति अपनी व्यवस्था के प्रति”।

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