शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

"नाथूराम गोडसेजी " को आज 15
नवम्बर के दिन फांसी दी गयी थी !
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हुतात्मा नाथूराम गोडसे को आज ही के
दिन फांसी दी गई थी...

गांधी वध कोई आपसी रंजिश या निजी दुश्मनी के
चलते नहीं बल्कि देश हित में किया हुआ एक एक
ऐसा महान कार्य था जो भारत के लिए " नीव
का पत्थर " साबित हुआ
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Why Godse Killed Gandhi : http://bit.ly/sXgZHQ
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यहाँ नीव का पत्थर इसलिए कहा गया है
क्यों कि सर्वकालिक बलिदान किसी ईमारत में होता है
तो वो उसकी आधार शीला में या नीव में ही होता है !
.
जो मुर्ख लोग इस हुतात्मा के विरोधी है , यदि वे एक
बार भी गोडसे को नजदीक से जान लेंगे
तो मेरा दावा है उनको " गांधी वध " के मायने समझ
आजायेंगे !

जन्म लेने के बाद तीन पुत्र अधिक समय जीवित नहीं रहे, इसलिए गोडसे परिवार ने डर के मारे चौथे पुत्र का नाम "रामचंद्र" रखा, परन्तु कुशंका की वजह से उसका लालन-पालन शुरू में एक लड़की की तरह किया गया, नाक भी छिदवाई गई, नथ भी पहनाई गई. जब परिवार में पांचवां पुत्र पैदा हुआ और जीवित रहा तब कहीं जाकर यह अंधविश्वास टूटा और रामचंद्र को पुनः "लड़के" की तरह पालन किया जाने लगा...

परन्तु तब तक प्यार से उस बच्चे का नाम "नथुराम" (नथ पहने हुए राम) प्रचलित हो चुका था. उसी नथुराम गोडसे का आज "हुतात्मा दिवस" है. १५ नवंबर १९४९ को उसे फाँसी दी गई... गाँधी "वध" हेतु चले पूरे मुक़दमे के दौरान नथुराम एक शब्द भी नहीं बोले, सिर्फ अंतिम सात दिनों में अपना बयान दिया... जिसे सुनकर जज भी रो दिए.

नथुराम को कभी भी गाँधी वध का पश्चाताप नहीं रहा, गाँधी के वध के बाद नथुराम वहाँ से भागे नहीं, शांत खड़े रहे... ना ही उन्होंने कभी अपने लिए माफी की माँग की... नारायण आप्टे के साथ गोडसे को अम्बाला जेल में १५ नवंबर को फाँसी दी गई. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनके अस्थि कलश का विसर्जन तभी किया जाए, जब सिंधु नदी अखंड भारत में प्रवाहित होने लगे... आज भी उनका अस्थि कलश पुणे में उनके निवास पर रखा हुआ है...

विनम्र श्रद्धांजलि... 

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