हरियाणवी राज्य-गीत
-डॉ उमेश प्रताप वत्स
हिंदुस्थान का सबतै प्यारा, हरि का सै हरियाणा।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
काला तीतर - कमल फूल , अर कुश्ती म्हारी सिरमौर सै।
वृक्षराज पीपल के ऊपर , पक्षियों का मीठा शोर सै।
राव तुलाराम-हेमू नै इसको , जान तै ज्यादा माना ।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
भोर-सवेरे ढाणी के माह , रोज दूध बिलोवै ताई ।
गेहूँ-बाजरा-धान फसल , सब खुशियाँ लेकर आई।
अंत्योदय की योजना से,
हर गरीब हुआ सयाना।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
आयुष्मान और क्रेडिट कार्ड तै,
जीवन बदलता जावै।
वृद्धा पेंशन सब परिवारों में , बुजुर्गों का मान बढावै।
म्हारे राज्य की रीढ़ किसान सै ,
इसका सम्मान बढ़ाना ।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
सुंदर पार्क, योग, स्टेडियम, स्वास्थ्य के गीत बजावै सै।
कैसे स्वस्थ होगा हरियाणा , मनोहर बात बतावै सै।
खेलों कुश्ती और कबड्डी , विश्व में डंका बजाना ।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
जय जवान और जय किसान,
और जय विज्ञान का नारा।
हर घर तै निकलै फौजी,
और म्हारा चौधरी न्यारा ।
अरावली, शिवालिक पर्वत, शृंखला से इसको पहचाना।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
गढ़वाली-पंजाबी-बांगर, पहाड़ी और मेवाती।
हरियाणा के सब प्यारे भाई, एक आवाज ही आती ।
मिलकै करैंगे सारे कारज, नम्बर एक पै ल्याना ।
सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥
कवि-
डॉ उमेश प्रताप वत्स
स्वतंत्र लेखक, स्तंभकार
9416966424
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