शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

हरियाणवी राज्य-गीत

 हरियाणवी राज्य-गीत

-डॉ उमेश प्रताप वत्स 


हिंदुस्थान का सबतै प्यारा, हरि का सै हरियाणा।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

काला तीतर - कमल फूल , अर कुश्ती म्हारी सिरमौर सै।

वृक्षराज पीपल के ऊपर , पक्षियों का मीठा शोर सै।

राव तुलाराम-हेमू नै इसको , जान तै ज्यादा माना ।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

भोर-सवेरे ढाणी के माह , रोज दूध बिलोवै ताई ।

गेहूँ-बाजरा-धान फसल , सब खुशियाँ लेकर आई।

अंत्योदय की योजना से, 

हर गरीब हुआ सयाना।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

आयुष्मान और क्रेडिट कार्ड तै, 

जीवन बदलता जावै।

वृद्धा पेंशन सब परिवारों में , बुजुर्गों का मान बढावै।

म्हारे राज्य की रीढ़ किसान सै , 

इसका सम्मान बढ़ाना ।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

सुंदर पार्क, योग, स्टेडियम, स्वास्थ्य के गीत बजावै सै।

कैसे स्वस्थ होगा हरियाणा , मनोहर बात बतावै सै।

खेलों कुश्ती और कबड्डी , विश्व में डंका बजाना ।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

जय जवान और जय किसान, 

और जय विज्ञान का नारा।

हर घर तै निकलै फौजी,

और म्हारा चौधरी न्यारा ।

अरावली, शिवालिक पर्वत, शृंखला से इसको पहचाना। 

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

गढ़वाली-पंजाबी-बांगर, पहाड़ी और मेवाती।

हरियाणा के सब प्यारे भाई, एक आवाज ही आती ।

मिलकै करैंगे सारे कारज, नम्बर एक पै ल्याना ।

सब राज्यों में सबतै आगै , सै म्हारा हरियाणा ॥

कवि-

डॉ उमेश प्रताप वत्स 

स्वतंत्र लेखक, स्तंभकार 

9416966424 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणी के लिये अग्रिम धन्यवाद!