आलेख : बात भाजपा की जीत की नहीं जीत के विशाल अंतर की है जनाब
डॉ उमेश प्रताप वत्स
देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों के लिए मतगणना पूरी हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अप्रत्याशित विजय प्राप्त की है। अधिकतर एग्जिटपोल के अनुमानों को धता बताते हुए भाजपा के पक्ष में जो परिणाम आयें हैं , वे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक विश्वसनीय वातावरण निर्मित करेंगे।
निसंदेह दक्षिण भारत के प्रवेशद्वार चौथे राज्य तेलंगाना में बीआरएस को हराकर कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। जबकि भाजपा यहां भी अपना वोट प्रतिशत व विजयी सीट बढ़ाने में सफल रही।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और और छत्तीसगढ़ में पार्टी की बंपर जीत से उत्साहित कार्यकर्ता यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में जश्न मना रहे हैं। मनाये भी क्यों ना , पिछले तीन दिनों से हर टीवी चैनल पर राजनीति के विद्वान पंडित मध्यप्रदेश में कांटे की टक्कर , राजस्थान में गहलोत की वापसी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की एक तरफा जीत के आँकड़े प्रस्तुत कर रहे थे। किंतु मोदी का विश्व विख्यात चेहरा वोटर के मन-मस्तिष्क में अपनी ऐसी छाप छोड़ने में सफल रहा है कि स्वयं भाजपा नेताओं को भी यह अनुमान नहीं रहा होगा कि इन तीनों राज्यों की जनता का वोट के रूप में आशीर्वाद इतनी प्रचूर मात्रा में मिलेगा। यह करिश्मा निसंदेह मोदी मैजिक के कारण रहा।
इन तीनों राज्यों की अप्रत्याशित विजय से भी बढ़कर आश्चर्य में डालने वाली बात यदि कोई है तो वह है मध्य प्रदेश की जीत का विशाल अंतर ।
देश के किसी भी राजनैतिक शास्त्री अथवा अनुभवी राजनैतिक पंडित ने दूर-दूर तक यह क्या नहीं लगाया था कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस को जितनी सीटें मिलेंगी उस आंकड़े से कही ज्यादा अंतर से तो भाजपा जीत का परचम फहराएगी। मध्यप्रदेश की कुल 230 सीटों में से 100 सीटों के लगभग अंतर से जीत प्राप्त करना और वो भी पाँचवी बार वास्तव में ही किसी चमत्कार से कम नहीं है।
छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित मध्यप्रदेश की जीत के फैक्टर न राजनैतिक पंडित समझ पाये , न चैनल वाले और न ही सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सक्रीय रहने वाले फिलोस्पर। कुछ चैनल तो चुनावों के परिणाम आने के बाद ईमानदारी से यह स्वीकार करते दिखाई दिये कि हम जनता के मन को पढ़ने में नाकाम रहे जबकि अधिकतर चैनल सब भूलाकर भाजपा के रंग में रंगते दिखाई दे रहे हैं।
इन राज्यों में जीत का परचम फैलाने वाले प्रभावी फैक्टर थे-
पहला फैक्टर था 'धर्मो रक्षति रक्षितः'
एक लोकप्रिय संस्कृत वाक्यांश है जिसका उल्लेख महाभारत और मनुस्मृति श्लोक 8.15 में किया गया है। इसका मोटे तौर पर अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है " धर्म उन लोगों की रक्षा करता है जो इसकी रक्षा करते हैं।" विश्व के सबसे पुराने सनातन धर्म के संरक्षण के लिए सत्यनिष्ठा से कार्य करना ना कि दिखावे के लिए। उज्जैन के महाकाल के कोरीडोर , वाराणसी में बाबा विश्वनाथ परिसर में कोरीडोर अन्य धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास के साथ ही अयोध्या में भगवान राम का विश्व स्तरीय राममंदिर निर्माण तथा वहां के शांतिमय वातावरण ने एक पहचान बनाई है।
दूसरा फैक्टर था राष्ट्र सर्वप्रथम ।
ना मैं हिन्दू ना मैं मुस्लिम
ना मैं सिक्ख ईसाई हूं।
राष्ट्रधर्म है मेरा पहले
उसका मैं अनुयाई हूं।।
इन पंक्तियों पर अमल करते हुए देश के प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी ने देश को सुदृढ़ करने के लिए जो महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं उन्हें कोई चाहकर भी नकार नहीं सकता।
तीसरा फैक्टर देश हित में कठोर निर्णय साबित हुआ। नोटबंदी के बाद जीएसटी , फिर कोरोना में सख्ती के साथ सेवा के कार्यों को स्थापित करना। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सर्जीकल स्ट्राइक तथा विश्व स्तर पर भारत की महत्वपूर्ण छवि स्थापित करना।
चौथा फैक्टर सत्यनिष्ठा से जनसेवा में सतत् लगे रहना। प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में जिस तरह से कई बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों के दिलों में विशेषरूप से महिला बहनों के मन में जो विश्वास की दस्तक दी है वह पांचवी बार भी हल्की नहीं हुई। लाड़ली बहनों केआशीर्वाद ने इस बार फिर अपने भैया शिवराज व युवा बेटियों ने मामा चौहान को एक बार फिर विजय का उपहार देकर सम्मानित किया।
पाँचवाँ फैक्टर विकास कार्य में बिना भेदभाव के सभी धर्म-जाति के लोगों के हित को देखते हुए समान भाव से विकास कार्य करना। सबका साथ सबका विकास का जो ध्येय लेकर चले उस पर भी जनता ने अपनी मुहर लगाई ।
दूसरी ओर विपक्ष यह तय ही नहीं कर पाया कि क्या सही है क्या गलत । क्या बोलना है क्या नहीं। प्रियंका गाँधी ने चंबल विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करते हुए भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कहा 'छोटे कद के बड़े अहंकारी नेता' जबकि गाँधी परिवार के अहंकार को देश जानता है।
विकास कार्य के स्थान पर तुष्टीकरण में लगे रहना , जातिभेद , क्षेत्र भेद के हथियारों से सदैव चुनाव नहीं जीते जाते । अतः विपक्ष को सोचना होगा कि कैसे जनता का विश्वास जीतने के लिए सत्यनिष्ठा के साथ योजनाएं बनाई जाए। कैसे जनता में विश्वास बहाल किया जाए।
हार-जीत कोई बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती , मायने रखता है आपका प्रदर्शन। और इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही चिंतनीय रहा है । देश विरोध , धर्म विरोध और छल-कपट लंबे समय तक नहीं चलता। तीनों राज्यों का प्रदर्शन और विशेषरूप से मध्य प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन कांग्रेस मुक्त भारत की ओर जाता दिखाई दे रहा है। जीत तो एक सीट से भी हो जाती है किंतु 230 सीटों में 100 के लगभग अंतर से जीतना कोई छोटी बात नहीं अपितु देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों के साथ ही विपक्ष को भी समझना होगा।
स्तंभकार -
डॉ उमेश प्रताप वत्स
प्रसिद्ध लेखक व विचारक है
9416966424
यमुनानगर , हरियाणा
आलेख : बात भाजपा की जीत की नहीं जीत के विशाल अंतर की है जनाब
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