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रविवार, 29 दिसंबर 2013
मैं भारत की बेटी हूँ
मैं भारत की बेटी हूँ
सदियों से मैं
सुनती आई, कि नन्ही सी देवी हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
चाहे देश का गौरव बनकर, मैंने इतिहास रचाया है।
युद्धों में तलवार चलाकर, मर्दाना वेश बनाया है।
खड़ी रही तूफानों
में भी, इस देश की तकदीर हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
ठिठुर-ठिठुर के फुटपाथों पर, चाहे बिन कपड़े सोती हूँ।
स्वाभिमान और आदर्शों की, सीप-समुद्र-मोती हूँ।
ग्रास छिनकर भूखे
मुख का, पेट नहीं मैं भरती हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
विकट समस्या हो चाहे जितनी, हाथ नहीं फैलाऊँगी।
दो-दो परिवारों के साथ मैं, देश का मान बढ़ाऊँगी।
बीच भंवर में नैया
लेकर, मैं पतवार चलाती हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
लाचारी और बेकारी को, चेताया झोपड़-पट्टी में।
मेहनत
से मैंने सपने संजोए, काया जलाई भट्टी में।
संघर्षरत्त रहकर
भी मैं, झूम-झूम इठलाती हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
राम-कृष्ण की माता हूँ, गोविन्द-शिवा
की जननी चाहे।
राजकुँवर के बदले पुत्र को, बलिदान करूँ पन्ना बन चाहे।
फिर क्यों पैदा
होने से पहले, कोख में मारी जाती हूँ।
चार दिन से भूखी
चाहे, पर भारत की बेटी हूँ।
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