शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

कविता- ऐसे थे शिवा महान

 कविता- ऐसे थे शिवा महान

डॉ उमेश प्रताप वत्स 


जीजाबाई की वीर संतान , भारत का है गौरव गान 

स्वराज्य के उद्घोषक थे, ऐसे वीर शिवा महान 

शिवनेरी दुर्ग में लिया जन्म, माँ की गोद में पले-बढ़े 

गीता और रामायण सुनकर , वीर शिवाजी हुए खड़े 

मुगलों का था देश में शासन, गिरवी पड़ा था मान-सम्मान 

स्वराज्य के उद्घोषक थे, ऐसा वीर शिवा महान 

आदिवासी, वनवासी और , वंचित वर्गों को लिया साथ

ढूँढ के योद्धा तैयार किये, ना पूछा धर्म और जात-पात 

हर जन-गण की सेना लेकर, युद्ध किया  लगा दी जान 

स्वराज्य के उद्घोषक थे, ऐसे वीर शिवा महान 

आदिलशाह का तख्त हिलाया, शाइस्तखां को धूल चटाई 

हर मराठा हर वर्ग का सैनिक, रणभूमि में करें लड़ाई 

अफजल खां को मार शिवा ने, जगाया देश का स्वाभिमान 

स्वराज्य के उद्घोषक थे, ऐसे वीर शिवा महान 

हम भी शिवा के पद चिह्नों पर, देश का मान बढ़ायेंगे 

हर क्षेत्र में आगे बढ़कर , विजय तराना गायेंगे 

कहे 'वत्स ' ये देश के सैनिक , हिन्दुस्थान की आन और शान 

स्वराज्य के उद्घोषक थे, ऐसे वीर शिवा महान

कविता :- परेड़ ग्राऊंड़ से प्रेम पत्र

 कविता :- परेड़ ग्राऊंड़ से प्रेम पत्र 

परेड़ ग्राऊंड़ से प्रिये को प्रेम पत्र


सुबह उठते ही प्रिये मुझे, जब याद तुम्हारी आती है,

हाय ! तभी वैरी व्हिसल, तुरंत फॉलोअन में बुलाती है।

आइने में देखूं मैं जब-तब, तस्वीर तुम्हारी लगती है,

फर्क इतना तुम साड़ी में, मेरे बदन पे खाकी सजती है।

खुली लाइन में दूर-दूर, दो दिल मुद्दत से बिछुड़ रहे,

निकट लाइन के मधुर मिलन में, फिर मिलने को तड़फ रहे।

आ न जाऊं कहीं पास तुम्हारे, ये वन-टू-टैन दौड़ाते है,

पैदल भी न पहूँच संकू, तभी चौदह कदम चलाते हैं।

ये क्या जाने प्यार हमारा, रोज डांट पिलाते हैं 

पतझड़ से गहरा रिश्ता है, फॉलोऑन में बहुत सताते हैं 

वर्ड कमांड में सज-सज कहकर, दाहिने से रोज सजाते हैं,

प्यार के दुशमन बेंत हाथ में, ढ़म-ढ़म ढ़ोल बजाते हैं।

ढ़ोल की तरंगे भी लगती, अपनी शादी की शहनाई,

सुहागरात की मधुर स्मृति, मेरे हृदय में समाई।

सपनों में भंवरा बन उड़के, निकट तुम्हारे आता हूँ,

“ परेड़ थम ”  की तल्ख आवाज से, खड़ा यहीं रह जाता हूँ।

मधुर पलों की झंकारों में, जब झंकरित हो जाता हूँ,

कल्पनाओं के पंख लगाकर, तुमसे मिलने आता हूँ।

तभी बेसुरी कर्कस आवाज से, मैं हतप्रभ रह जाता हूँ,

काफूर हुई यादें और स्वयं को काले मैदान में पाता हूँ।

प्रिये SSS इस विराहग्नि को, अभी नहीं बुझने देना,

हर क्षण और हर सांस में, प्रेम-ज्योति जलने देना।

एक-दो-एक कहते-कहते मैं, पास तुम्हारे आऊँगा,

कोई रोक सके तो रोक दिखाएं, 8 अक्तुबर को जाऊँगा।                 

लघुकथा - एसी टिकट

 लघुकथा - एसी टिकट

  • डॉ उमेश प्रताप वत्स 

फटीचर वेश में एक व्यक्ति तीन थैले लेकर ट्रेन में चढ़ने के लिए बड़ा आतुर दिखाई दे रहा था। वह एसी टू टायर के एरिया में खड़ा था। जैसे ही ट्रेन आई तो भीड़ देखकर मैंने कहाँ चाचा सामान्य डिब्बे तो आगे आयेंगे। बाद में आपको जगह नहीं मिलेगी , आप पहले से ही आगे चले जाओ। तो उन महाशय ने लोकल भाषा में बड़ी विनम्रता से कहा कि मेरा एसी टू के तीसरे डिब्बे में सीट नम्बर सत्ताइस है। मैं हैरानी से उसे देखने लगा तभी मेरे कुछ पूछने से पहले ही बोला कि बेटे की नई-नई नौकरी लगी है उसी ने टिकट बुक कराया है और ट्रेन आने पर वह खुशी-खुशी डिब्बे में चढ़ गया और मैं मन ही मन उसके बेटे को धन्य-धन्य कहता रहा।

कविता - छलांग

 कविता - छलांग

  • डॉ उमेश प्रताप वत्स 


ऊचे आकाश में उड़ना तो ठीक है 

किंतु जमीं से जुड़े रहना ही संस्कार है 

हम जो भी हो ,जहां भी हो जीवन में 

सरलता ही आदर्श चरित्र का आकार है 


बाज की गगनचुंबी उड़ान, सीख दे जाती हमें ।

बेशक हो आकाश में , निगाहें जमीं पर जमे 

तभी कोई भी शिकार, बचकर जा सकता नहीं 

लक्ष्य प्राप्ति के बाद ही, हमारे बढ़ते कदम थमे ।


छलांगे तो हमने बहुत ऊँची लगाई बार-बार 

आसमान छू जो धरा का स्पर्श कर बढ़ता है 

आत्मविश्वास और मेहनत की शक्ति लेकर 

वही मानव सदा अनुकरणीय भविष्य गढ़ता है

आलेख - हरियाणा शहीदी दिवस पर मेजर आशीष धोनैक का बलिदान युवाओं को देश प्रेम के लिए प्रेरित कर गया।

 आलेख - हरियाणा शहीदी दिवस पर मेजर आशीष धोनैक का बलिदान युवाओं को देश प्रेम के लिए प्रेरित कर गया।

- डॉ उमेश प्रताप वत्स 


हरियाणा के बारे में एक कहावत है कि 

'जित दूध-दही का खाना , वो मेरा हरियाणा'

यद्यपि हरियाणा बांके युवाओं , मुछैल-लठैत चौधरियों के बारे में जाना जाता है किंतु देश में मुगल काल से आज तक हरियाणा के युवाओं ने सदा ही अपनी धरती व देश के लिए बलिदान होने में भी तनिक जान की परवाह नहीं की और इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर अपना नाम अमर कर दिया।

अभी हाल ही में देश के मुकुट कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बुधवार 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल भट्ट की शहादत में हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले मेजर आशीष धोनैक देश के दुश्मन पाकिस्तानी आंतकियों से लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान कर हरियाणा के बलिदानी इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करा अमर हो गए।

पानीपत के मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में टीम के साथ मिशन पर थे। घने जंगलों के बीच आतंकियों से मुठभेड़ चल रही थी। इसी बीच उनकी जांघ में गोली लग गई। आर्मी की मेडिकल टीम आई और उन्हें इलाज के लिए ले जाना चाहा। मेजर आशीष ने कहा- मैं आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा। वे घायल हालत में ही आतंकियों से भिड़ते रहे। करीब 10 घंटे तक उनके पैर से खून बहता रहा। इससे हालत बिगड़ती चली गई। लड़ते-लड़ते उनकी हालत नाजुक हो गई और वे शहीद हो गए। 

हरियाणा की बलिदानी परम्परा का इतिहास बहुत पुराना है । भारत में अनेक राज्यों की भाँति हरियाणा भी वीरों का प्रदेश रहा है । राजा हेमचन्द्र उपाख्य हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली के तख्त पर बैठकर मुगलों को भारतीय ताकत की अनुभूति कराई थी। समय की अपनी चाल होती है , यदि अकबर के साथ युद्ध में लड़ते हुए सेनापति बैरमखाँ का तीर हेमू विक्रमादित्य की आँख में न लगता और उसके बाद हेमू की सेना में भगदड़ न मचती तो इतिहास कुछ ओर ही होना था । होनी बड़ी बलवान है , होता वही है जो विधाता ने रच रखा है ।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में भी राजा राव तुला राम ने हरियाणा का नाम सम्मानित अक्षरों में अंकित करा रखा है ।कहा जाता है कि यह स्वतंत्रता संग्राम राजा राव तुलाराम व नारनौल क्षेत्र के गांव नसीबपुर में हुई लड़ाई के जिक्र के बिना अधूरा है। 16 नवम्बर 1857 को भारतीय वीरों व अंग्रेजों के बीच हुई। इस लड़ाई की तैयारी राजा राव तुला राम ने की।

इस लड़ाई में सैंकड़ों भारतीय योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए जबकि अंग्रेज सेना के कर्नल आई. जी. गेरार्ड सहित अंग्रेजी सेना के 70 से अधिक सैनिक व अधिकारी मारे गए थे।

नसीबपुर की लड़ाई में कम संसाधनों के बावजूद भारतीय वीरों के बलिदान व जज्बे से स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती मिली जिससे भविष्य में देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त हुआ। 

शहीदों की गौरव गाथाएं आने वाली पीढ़ी को सदैव अपनी समृद्ध विरासत की याद दिलाएंगी, इसी भाव को ध्यान में रखते हुए हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को याद करते हुए उनके बलिदान को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनाने हेतु मनाया जाता है।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के अमर शहीद वीर राव तुला राम की महत्वपूर्ण भूमिका को स्मरण करते हुए 23 सिंतबर 1863 को उनके बलिदान दिवस के अवसर पर ही हरियाणा शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यद्यपि इस दिन 1857 तथा 1947 के स्वतंत्रता संघर्ष में हरियाणा से संबंधित सभी वीर बलिदानी क्रांतिवीरों को स्मरण किया जाता है। 

हरियाणा के वीर बलिदानी राव तुला राम का जन्म रेवाड़ी के रामपुरा में 9 दिसंबर 1825 को हुआ था। उस वक्त उनके पिता राव पूर्ण सिंह अहीरवाल रेवाड़ी के राजा थे। युवावस्था में राव तुला राम के पिता का स्वर्गवास होने के कारण इन्हें 14 साल की उम्र में ही राज गद्दी पर बैठा दिया गया। किंतु राजा पूर्ण सिंह के स्वर्गवास के बाद अंग्रेजों की कुत्सित नजर उनकी रियासत पर थी। अतः अंग्रेजों ने धीरे-धीरे अहीरवाल पर कब्जा करना शुरु कर दिया। इसके बाद राव तुला राम ने अपनी सेना तैयार की। 1857 के विद्रोह की आग जब मेरठ तक पहुंची तो वो भी इस क्रांति में कूद पड़े। राव तुला राम और उनके भाई के नेतृत्व में रेवाड़ी की सेना ने अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम कर दिया और रेवाड़ी व उसके आस-पास के कई इलाकों पर नियंत्रण कर लिया। 23 सितंबर 1863 को उन्होंने काबुल में अंतिम सांस ली। राव तुला राम ने भारत की स्वतंत्रता के लिए होने वाले संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

इसी प्रकार भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल रहे कैथल के 20 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम इतिहास में अंकित हैं। इसमें कैथल से काका राम, महाश्य बृज लाल, नराता राम भल्ला आदि कई नाम अंकित हैं। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन रामनाथ शर्मा ने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया यह सब जानते हैं।

हरियाणा वीरों की धरती कही जाती है। जहां स्वतंत्रता से पूर्व हरियाणा के असंख्य वीर देश की आजादी के लिए अग्रिम पंक्ति में लड़ते रहे वहीं स्वतंत्रता के बाद भी सेना द्वारा लड़े गये लगभग सभी युद्धों में हरियाणा के सैनिक देश की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गए। आज भी देश की सेना में हरियाणा के हजारों सैनिक देश सेवा हेतु संकल्पबद्ध हैं।

आज हरियाणा के अनेको वीर सैनिक जल, थल , नभ सेना में मेजर आशीष धोनैक जैसे बलिदानी वीरों , भारत माता के सच्चे सपूतों से प्रेरणा प्राप्त कर देश की रक्षा-सुरक्षा में तैनात खड़े हैं । आज इन वीर बलिदानी सपूतों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने बच्चों को प्राइवेट सैक्टर से पहले देश की सेना में जाने के बाद प्रेरित करें। कुशाग्र बुद्धि वाले बालक जब तन-मन से सेना में आयेंगे तो भारत की सेना शीघ्र ही विश्व की सर्वाधिक शक्ति सेना कही जायेगी।


स्तंभकार : 

डॉ उमेश प्रताप वत्स

umeshpvats@gmail.com

#14 शिवदयाल पुरी, निकट आइटीआइ

यमुनानगर, हरियाणा - 135001

9416966424