श्री उमेश प्रताप वत्स ने कश्मीर मुद्दे पर हो रही बेतुकी ब्यानबाजी पर मुखर होते हुए कहा कि वार्ताकारो एवं सिरफिरे लोगो द्वारा देश को खंड-खंड करने के देशद्रोही ब्यान देना तुरंत बंद कर देना चाहिए अन्यथा देश छोडकर चला जाना चाहिए। श्री वत्स ने कहा कि कश्मीर कोई हमारा मुकुट नही जिसे किसी भी सिर पर रख दिया जाये, कश्मीर हमारा शीश है जो कभी धड़ से अलग नही हो सकता। भारत की संस्कृति को सदैव तार-तार कर देने वाली लेखिका अंरूधती राय व जिलानी के ब्यानो को केन्द्र सरकार हल्के मे न लेकर उन्हे तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार करे, अन्यथा सारे देश मे जबरदस्त आन्दोलन खडा किया जायेगा। ये दुष्ट लोग देश की संस्कृति को दीमक की तरह चाट रहे है। इस बार मामला देश के भू-भाग का है अतः जनमानस इन्हे किसी भी तरह क्षमा नही कर सकता। यमुनानगर की जनता भी बाकि देश की तरह ही स्वयं को ठगा सा महसूस कर रही है । कश्मीर केवल कश्मीरी पण्डितो का नही अपितु सारे देश का है। श्री वत्स ने बताया कश्मीर कोई 1947 से भारत का हिस्सा नही अपितु हजारो वर्षो पूर्व निमित्त पुराण मे भी भारत का अंग दर्शाया गया है तथा महाभारत काल मे श्री कृष्ण भगवान ने राजा की मृत्यु पश्चात रानी यशोमती को सिंहासन पर बैठाया था। कश्मीर हमारा था, हमारा है, और हमारा ही रहेगा। लेखक को कलम की स्वतन्त्रता का अर्थ यह नही समझना चाहिए कि वह देशद्रोह करने को भी स्वतन्त्र है।सारा देश चाहता है कि अरून्धती राय व जिलानी को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए।
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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010
कश्मीर हमारा शीश है जो कभी धड़ से अलग नही हो सकता।
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