रविवार, 2 फ़रवरी 2014


जहां चाह वहां राह
हरियाणा के रेवाड़ी जिले में स्थित है एक छोटा सा गांव, जिसका नाम है गुर्जर माजरी। इस छोटे से गांव का नाम रौशन किया है सुनीता गुर्जर ने। गुर्जर माजरी की सुनीता ने बीते साल 20 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। साथ ही यहां से संदेश दिया कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह रोकने का। सुनीता ने साबित कर दिया कि किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मन में दृढ़ संकल्प हो तो सब बाधाएं बौनी हो जाती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सुनीता ने अभावों में जीवनयापन करते हुए इस उपलब्धि को हासिल किया।
दल में सबसे आगे
सुनीता के साहस का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने दल के सदस्यों में सबसे पहले माउट एवरेस्ट की चोटी पर पहुच गई थी, जबकि इको एवरेस्ट एक्सपेडिशन-2011 में शामिल उसकी टीम के अन्य सदस्य कुछ घटों के बाद चोटी पर पहुच पाए थे।
दूर हों सामाजिक बुराइयां
सुनीता कहते हैं कि आज भी देश के विभिन्न हिस्से ऐसे हैं जहां लड़कियों को आजादी नहीं मिल पाती। उन्हें कुछ करने का मौका नहीं मिल पाता। आज के दौर में महिलाएं पुरुषों की तुलना में पीछे नहीं है। इसके अलावा सुनीता समाज से कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी बुराई को दूर करने के लिए भी कृतसंकल्प हैं। इस दिशा में जागरूकता फैलाने का पूरा प्रयास कर रही हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने गांव से की और वहां इस मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं। जिस गुर्जर समुदाय में शिक्षा का स्तर काफी नीचे है, उसी समुदाय को सुनीता अब सार्वजनिक मंचों से बाल विवाह रोकने, बेटियों को शिक्षित बनाने व कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई से दूर रहने का संदेश दे रही हैं।
पेंटिंग का शौक
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से फिजिकल साइंस में सुनीता ने स्नातक की डिग्री हासिल की है। उन्हें बचपन से ही पेंटिंग बनाने का शौक भी रहा है। इसी शौक के जरिये उन्हें आसमान छूने की प्रेरणा मिली, जिसे सुनीता ने माउंट एवरेस्ट का फतह करके हासिल किया।

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