मातृ दिवस पर सभी ब्लॉगर मित्रों पर वात्सल्यमयी शुभकामनाएं ।
विदित, जग मे मॉ का आँचल, बाल-क्रीडाओं से भरा हुआ।
विडम्बनाओ की हदे पार कर, वातस्लय से सजा हुआ।।
स्मरण रहेगा पल-पल हमे जीजाबाई का वो प्रसंग।
शिवा को लिटाया सूखे मे, भीग रहा अपना अंग।।
है पुत्र-धन सबसे बडा , समक्ष सब तुच्छ रहा।
जिसके सुख हेतु माता का, हर शब्द दुआ हुआ।।
सदियो ने भी माता के , वात्सल्य को गाया है।
ईश्वर से पहले मॉ का ही, चरण-रज लगाया है।।
विकट परिस्थितियों मे भी, कभी न डगमगाया है।
पुत्र की तुच्छ आह! पर भी, मॉ का दिल भर आया है।।
कृष्ण-यशोदा के प्रसंग मे, पुलकित हो रहा जल-थल।
कान्हा की अटखेलियों मे , आनन्दित हो रहा हर पल।।
बृज-गोकुल की ये राहे, बरसाना तक नाच उठी ।
मॉ के आँचल से किलकारियां , चँहू दिशा मे गूंज उठी।।